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Samar Ahmed is waving her flag in marine biology

समुद्री जीव विज्ञान के क्षेत्र में उनकी जीवन यात्रा काफी दिलचस्प रही है। यह सब तब शुरू हुआ जब 2019 में समर ने जीव विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिज्ञासावश भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक प्रोफेसर को किसी चालू या आगामी परियोजना पर काम करने के लिए आवेदन पत्र लिखा।

मार्च को महिलाओं के विशेष महीने के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह महिलाओं के निरंतर संघर्ष का प्रतीक है । प्राचीन काल से ही महिलाओं के साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता था, स्थिति ऐसी थी कि महिलाओं को सामाजिक स्तर पर भी कोई स्थान प्राप्त नहीं था। उन परिस्थितियों में, महिलाएं आगे बढ़ीं और समाज और पेशेवर दोनों क्षेत्रों में अपने लिए सम्मानजनक स्थिति हासिल करने के लिए प्रयास किएलोगों के दृष्टिकोण को बदलने और घरेलू कार्य से अधिक महिलाओं की भूमिका को स्वीकार करने में वर्षों, दशकों और युग लग गए।संघर्ष अभी भी जारी है। महिलाएं रूढ़िवादिता को तोड़ते हुए सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। विज्ञान, साहित्य, अनुसंधान, कानून, शासन, प्रशासन के क्षेत्रों में उनका योगदान कई गुना बढ़ गया है सभी क्षेत्रों में वे उत्कृष्ट साबित हो रही हैं। चाहे वह एक मां की भूमिका हो, एक वैज्ञानिक, एक वकील, एक प्रशासक या रक्षा कर्मी की, महिलाएं साहस और समर्पण के साथ भाग ले रही हैं।आज के दिन हम सभी महिलाओं को साधुवाद देते हैं। हर महिला विशेष है, और कुछ महिलाएं बहुत विशेष कार्य कर रही हैं। आइए इसी शृंखला में एक ऐसी महिला से मिलते हैं- समर अहमद, जो एक अपरंपरागत क्षेत्र-समुद्री जीव विज्ञान में अपना परचम लहरा रही है। समर नैनीताल, उत्तराखंड की रहने वाली हैं जहां उनका जन्म और पालन पोषण हुआ।
समुद्री जीव विज्ञान के क्षेत्र में उनकी जीवन यात्रा काफी दिलचस्प रही है। यह सब तब शुरू हुआ जब 2019 में समर ने जीव विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिज्ञासावश भारतीय वन्यजीव संस्थान के एक प्रोफेसर को किसी चालू या आगामी परियोजना पर काम करने के लिए आवेदन पत्र लिखा। उन्हें प्रवासी पक्षियों पर एक परियोजना पर काम करने का अवसर मिला और यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।पक्षियों पर शोध का जो अनुभव रहा, इस ने उन्हें वन्यजीव अनुसंधान की दिशा में काम करने के लिए आकर्षित किया। इसके बाद उन्होंने कच्छ, गुजरात में कॉमन क्रेन और फ्लेमिंगो पर फील्ड असिस्टेंट के रूप में भारतीय वन्यजीव संस्थान की एक परियोजना मैं काम किया। 2021 में उन्होंने नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरु की एक परियोजना के तहत रणथंभौर में बाघों पर काम किया।
बाघों पर शोध करते समय उन्हें एहसास हुआ कि कैसे बड़ी प्रजातियों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और अक्सर छोटी प्रजातियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसी तार तम्य में उन्होंने जैव विविधता संरक्षण में स्नातकोत्तर करने की ठानी.और फिर वह बॉम्बे विश्वविद्यालय से जैव विविधता संरक्षण में स्नातकोत्तर करने के लिए मुंबई चली गईं। वह याद करती हैं कि जुहू, जो एक बहुत भीड़भाड़ वाला समुद्र तट है, भी कितनी जैव विविधता से परिपूर्ण है, जो अपनी चट्टानी और दरारों में लाखों छोटे छोटे समुद्री जीवो को आश्रय दिए हुए है। इसने उन्हें आकर्षित किया उनका समुद्री जीवो पर अनुसंधान करने का सफर शुरू हो गया।
समुद्री जीव विज्ञान ने उन्हें इतना आकर्षित किया कि उन्होंने ‘कोरल रीफ और रीफ मछलियों का संबंध’ विषय पर अपना पोस्ट ग्रेजुएशन शोध प्रबंध पत्र लिखा। इस शोध प्रबंध में उन्होंने चर्चा की कि कैसे विभिन्न प्रकार के मूंगे की कॉलोनी में विभिन्न प्रकार की मछलियों पायी जाती हैं। उन्होंने मूंगों में पाई जाने वाली 3 प्रकार की मछलियों का विवरण किया: शाकाहारी, मांसाहारी और मूंगाभक्षी। वह बताती हैं कि यह बहुत दिलचस्प है कि जो मछलियाँ मूंगाभक्षी होती हैं वे स्थानिक रूप से प्रभावी प्रकार के मूंगों की वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और रीफ की अधिक विविधता को बढ़ावा देती हैं।
वर्तमान में वह दक्षिण फाउंडेशन के साथ काम कर रही हैं। दक्षिण फाउंडेशन पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक न्याय की दिशा में काम करने वाला एक गैर-लाभकारी संगठन हैं। वह वर्तमान में एक पहल – REEFLOG पर काम कर रही है, जो एक नागरिक विज्ञान परियोजना है जिसमें पर्यटकों/गोताखोरों से उनके द्वारा देखी गई समुद्री प्रजातियों को एक बोर्ड पर लिखने के लिए कहते हैं। वे इस डेटा को संकलित करते हैं और अपने शोध को आगे बढ़ाने के लिए इसका उपयोग करते हैं।
एक महिला होने के नाते उन्हें कुछ अप्रिय घटनाओं का सामना भी करना पड़ता है जहां पुरुष शोधकर्ताओं को तवज्जो दिया गया और महिला शोधकर्ता को दरकिनार कर दिया जाता है। चुनौतियां आतीं हैं लेकिन उनको पार करने का हौसला वह रखती हैं. वह खुद को भाग्यशाली मानती है कि उन्हें हमेशा अपने माता-पिता से अपार समर्थन मिला है जो स्वयं साहसिक उत्साही हैं।
भविष्य में वह इसी दिशा में काफी काम करना चाहती है। किसी भी वन्य जीव या समुद्री जीव प्रजाती को खतरे से बचाने में किया गया छोटा सा प्रयास भी महतवा पूर्ण है और इस दिशा में वे अपना पूर्ण योगदान देना चाहती हैं। अपने वर्तमान के कार्य ‘ REEFLOG  को आगे बढ़ाना चाहती हैं और इसके साथ ही स्थानीय लोग और वन विभाग के साथ मिल कर हर वो प्रयास करना चाहतीं है जिसमें पर्यावरण का ताल मेल बना रहे। इसी के साथ हम समर को उनके आगे के सफर के लिए शुभ कामनाएं देते हैं और आशा करते हैं की महिलाएं इसी तरह हर क्षेत्र में आगे बढ़ें और समाज का कल्याण करें।

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