




PM Modi and China President Xi Jinping
दिसंबर माह में ही अरूणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों की झड़प हुई। जून 2020 के बाद से 9 दिसंबर 2022 के दिन 17 फीट की ऊंचाई पर चीन ने फिर भारत की सीमा में आने की हिमाकत की। तब भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। तवांग पर सन् 1962 की जंग के बाद से ही चीन की बुरी नजर है। सवाल यह उठता है कि कोरोना के कहर से जूझने, सुस्त इकोनॉमी जैसे संकट के बीच चीन भारत पर हमले के लिए क्यों आमादा रहता है। जानिए क्या हैं 5 अहम कारण।
वर्ल्ड डिप्लेमेसी
चीन की विस्तारवाद नीति, जिसका भारत करता है विरोध
चीन 1949 में आजाद हुआ। इसके बाद कई दशकों तक वह ‘बंद अर्थव्यवस्था’ को फॉलो करता रहा। जब अर्थव्यवस्था मजबूत हुई तो उसने विस्तारवाद की नीति अपनाना शुरू कर दिया। वर्ष 2000 में नई सदी शुरू होने के बाद चीन ने अपने आक्रामक तेवर दिखाना शुरू कर दिए। तब दुनिया का ‘पुलिसमैन’ माने जाने वाले अमेरिका को चीन यह विस्तारवाद नीति नागवार गुजरी। चीन दुनिया में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए अमेरिका का सबसे ताकतवर प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरा। समाजवादी देश होने के कारण कहीं न कहीं उसे रूस का भी साथ मिला है। दुनिया में धाक जमाने के लिए चीन की विस्तारवाद नीति के कारण भारत भी प्रभावित रहा है। भारत ने हमेशा विस्तारवाद नीति का विरोध किया। वहीं चीन भारत सहित दक्षिण चीन सागर के कई अन्य पड़ोसी देशों के इलाकों पर कब्जा करने की फिराक में रहता है।
सत्ता पर मजबूत पकड़ कायम रखना
मजबूत सत्ता के लिए चीनी जनता को बड़ी उपलब्धि दिखाना चाहते हैं जिनपिंग
चीन के लोग शी जिनपिंग से काफी खफा हैं। चीन ने जीरो कोविड पॉलिसी लंबे समय तक लगाकर रखी। वहीं कोरोना के कहर को रोकने में चीन सरकार नाकाम रही है। ऐसे में चीन की जनता सत्तासीन जिनपिंग सरकार से नाराज है। ऐसे में चीनी सत्ता पर मजबूत पकड़ के लिए बड़ी उपलब्धि दिखाना चीन सरकार के लिए जरूरी हो जाता है। इसलिए वह भारत चीन सीमा पर गलवान, डोकलाम और तवांग जैसी हरकतें करता है। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो चीन 2027 तक अरुणाचल जैसी आक्रामक कार्रवाई करता रहेगा। इसकी मुख्य वजह है- 2027 में होने वाली कम्युनिस्ट पार्टी की मीटिंग। इसमें जिनपिंग चौथी बार राष्ट्रपति बनने की दावेदारी पेश करेंगे। ऐसे में जिनपिंग को अपने लोगों को बताना होगा कि उन्होंने ऐसा बड़ा क्या किया जिससे वह फिर से राष्ट्रपति बनना चाहते हैं।
चीन का रवैया
ताइवान पर चीन की नजर, लेकिन अमेरिका से सीधी टक्कर नहीं चाहता
वैसे देखा जाए तो चीन का दुश्मन नंबर 1 ताइवान है। जहां वो कब्जा करने की सबसे पहले सोचता है। लेकिन देखा जाए तो चीन का दुश्मन नंबर एक ताइवान है, लेकिन जिनपिंग ताइवान पर हमला नहीं करेंगे, क्योंकि अमेरिका ढाल बन कर खड़ा है। ऐसे में चीन का दुश्मन नंबर 2 भारत बचता है। इसलिए दुनिया पर अपना प्रभुत्व दिखाने के लिए भारत हमला करने की फिराक में रहता है ड्रेगन।
अमेरिकी नीति
बाइडन का भारत के प्रति सुस्त रवैया, जिसका फायदा उठाना चाहेगा चीन
अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर जो बाइडेन का होना जिनपिंग के लिए सबसे अच्छी स्थिति हो सकती है। जिनपिंग का मानना है कि बाइडेन भारत के साथ युद्ध की स्थिति में फौरन कोई फैसला नहीं लेंगे। क्योंकि हाल के समय में भारत ने रूस और यूक्रेन जंग में अमेरिका का साथ ने देते हुए जंग को लेकर ‘न्यूट्रल’ रवैया रखा। इस कारण जो बाइडन का रवैया भारत के प्रति सुस्त है और यह बात चीन जानता है।
हिंद प्रशांत महासागर की डिप्लोमेसी
चीन विरोधी संगठन ‘क्वाड’ में भारत की मौजूदगी
अमेरिका ने इंडो प्रशांत महासागर में चीन को घेरने के लिए चार देशों का समूह बनाया है, जिसे ‘क्वाड’ नाम दिया है। इसमें अमेरिका के साथ जापान, आस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं। चीन इस संगठन का हमेशा से ही विरोध करता रहा है। चीन इस संगठन को अपने खिलाफ आक्रामक ‘गुट’ मानता है। इसमें भारत भी शामिल है, जाहिर है ऐसे में चीन भारत को सबक सिखाने के लिए न सिर्फ हिमालयी सीमाओं, बल्कि हिंद महासागर में भी अपने जंगी जहाजों की तैनाती करके भविष्य में संभावित युद्ध के खतरे उत्पन्न कर रहा है।